सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार के 'नेम प्लेट' वाले आदेश को चुनौती; याचिका दायर कर की गई यह मांग, कांवड़ में 'पहचान' का विवाद गरमाया
UP Kanwar Yatra Name Plate Controversy In Supreme Court For Hearing
UP Name Plate Controversy: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सभी कांवड़ यात्रा रूटों पर खाने-पीने की दुकानों पर वास्तविक नाम-पहचान सार्वजनिक करते हुए 'नेम प्लेट' लगाने का आदेश दिया है। वहीं योगी सरकार के इस आदेश पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पूरे देश में योगी सरकार के इस आदेश को लेकर चर्चा है। साथ ही पूरा विपक्ष इस पर कटाक्ष कर रहा है। इसके साथ ही इस पूरे आदेश पर विवाद इतना गरमा गया है कि अब आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दे दी गई है। बताया जा रहा है कि, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम की एनजीओ योगी सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है और सरकार के आदेश को चुनौती दी है।
आदेश को रद्द करने की मांग
एनजीओ की तरफ से योगी सरकार के 'नेम प्लेट' वाले आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका में आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। बताया जाता है कि, इस याचिका में यूपी सरकार, डीजीपी, एसएसपी मुजफ्फरनगर को पक्षकार बनाया गया है। इसके साथ ही याचिका में उत्तराखंड सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है। दरअसल यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में हरिद्वार के एसएसपी ने भी ऐसा आदेश जारी कर दिया था। वहीं जानकारी मिली है कि, योगी सरकार के आदेश के खिलाफ दाखिल इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल ही सुनवाई करेगा।
19 जुलाई को जारी हुआ आदेश
मालूम रहे कि, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा को लेकर 19 जुलाई को आदेश जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि, पूरे प्रदेश में सभी कांवड़ रूटों पर मौजूद खाद्य पदार्थों की दुकानों पर नेम प्लेट लगानी होगी। यानी जो खाने-पीने की दुकानें होंगी, उनपर वास्तविक पहचान सार्वजनिक करनी जरूरी होगी। दुकानों पर संचालक-मालिक का नाम और उसकी पहचान होनी चाहिए।
योगी के आदेश में चेतावनी भी जारी
सीएम योगी आदित्यनाथ की तरफ से यह आदेश कांवड़ यात्रियों की आस्था का ध्यान रखते हुए जारी किया गया था। कांवड़ यात्रियों की आस्था और शुचिता बरकरार बनी रहे। इसलिए यह आदेश जारी हुआ था। आदेश में कहा गया था कि, दुकानों पर नाम-पहचान से होने से कांवड़ यात्रियों की आस्था की पवित्रता बनी रहेगी। इसके साथ ही सीएम योगी ने चेतावनी दी थी कि हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पाद बेचने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
सहयोगी RLD विरोध में नजर आ रही
बता दें कि, बीजेपी की सहयोगी पार्टी यानि एनडीए में शामिल RLD भी योगी सरकार के आदेश के विरोध में नजर आ रही है। RLD के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कांवड़ मार्ग पर दुकानों पर नाम लिखने के सरकारी आदेश का खुला विरोध किया है। जयंत ने कहा कि, उनकी पार्टी अपने स्टैंड पर कायम है। जयंत ने योगी सरकार से आदेश वापस लेने की मांग की है। जयंत ने कहा कि ज्यादा समझ के बिना ये आदेश जारी किया गया है और अगर आदेश दे दिया है तो अब उस पर टिक रहे हैं। समय रहते आदेश वापस हो जाए तो अच्छा है। या फिर इस आदेश में किसी भी प्रकार से ज़ोर न दिया जाए। जबरदस्ती न की जाए।
जयंत चौधरी ने कहा कि कांवड़ ले जाने वाले या सेवादार की कोई पहचान नहीं होती। इसमें जाति-धर्म को नहीं जोड़ना चाहिए। जहां तक नाम लिखने की बात है तो कहां-कहां नाम लिखोगे, जयंत ने तंज़ कसते हुए कहा कि, क्या अब कुर्ते में भी नाम लिखना शुरू कर दें? इससे पहले आरएलडी नेता रामआशीष ने कहा था कि उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनें दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखनें का निर्देश देना जाती और सम्प्रदाय को बढ़ावा देनें वाला कदम है। प्रशासन इसे वापस ले। यह गैर संवैघानिक निर्णय है।
पहले केवल मुजफ्फरनगर में जारी हुआ था यह आदेश
बता दें कि, पहले इस प्रकार का आदेश केवल मुजफ्फरनगर में जारी हुआ था। मुजफ्फरनगर में यहां के प्रशासन द्वारा कांवड़ यात्रा को लेकर कांवड़ रूट पर दुकानों पर नाम और पहचान लिखने का आदेश दिया गया था। जहां इस आदेश के बाद से घमासान मच गया था। विपक्ष का कहना था कि यह आदेश हिटलरशाही है। ऐसा आदेश जारी गैर संवैघानिक है। इस प्रकार तानाशाही की जा रही है और 'हिंदू-मुस्लिम' को बांटा जा रहा है। इससे सांप्रदायिक तनाव फैलेगा।
लेकिन यूपी के सीएम योगी ने साफ कर दिया कि वो विपक्ष के दबाव में झुकने वाले नहीं हैं। सीएम योगी ने आदेश वापस लेने की बजाय नया आदेश पूरे यूपी के लिए जारी कर दिया। आदेश जारी होने के बाद क्या हिन्दू और क्या मुसलमान सभी अपनी दुकानों पर अपनी वास्तविक पहचान लिख रहे हैं। मुसलमानों की कई दुकानें जो दूसरे नाम से थीं. उन पर अब नाम बदल गया है। वहीं जो नाम-पहचान की नेम प्लेट नहीं लगा रहे हैं, उनकी दुकानों पर पुलिस-प्रशासन के लोग नेम प्लेट लगाने और लगवाने का काम कर रहे हैं।